इस पर, बीरबल ने जवाब दिया, “वह सब मुझे ठीक लगता है। लेकिन अगर आपने पानी बेचा है और पानी आपका है, तो आपके पास अपने कुएं में पानी रखने का कोई व्यवसाय नहीं है। पानी निकालें या तुरंत सभी का उपयोग करें। अगर पानी कुएँ के मालिक का नहीं होगा ”।
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एक दिन की बात है, वह लकड़हारा हर दिन की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया। और वह नदी के किनारे एक पेड़ पर ऊपर चढ़कर लकड़ी काटने लगा। लेकिन लकड़ी काटने के दौरान उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूट कर नदी में गिर गई। वह तुरंत ही नीचे उतरा और नदी से अपनी कुल्हाड़ी निकालने की काफी कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। क्योंकि नदी काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी बहुत तेज था।
कहानी की सीख: हमेशा बड़ों की बात माननी चाहिए, वे हमेशा हमारा भला ही चाहते हैं, दूसरा हमें कभी भी किसी की चुगली नहीं करनी चाहिए।
“मोम मेने मैथ का होमवर्क कर लिया अब तो खेलने जाऊ....” रोहन ने बाहर गार्डन में get more info देखते हुए कहा
अकबर बीरबल की कहानियाँ
अगले दिन जब लकड़हारा जंगल में अपनी भेड़ो के लेकर चराने गया तो वहां पर सचमुच का भेड़िया आ गया। वह डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बचाओ-बचाओ सचमुच का भेड़िया आया, कोई बचाओ भेड़िया आया। गाँव बालों ने उसकी आवाज सुनी और कहा की इसका तो रोज का ही काम है मजाक करना। और किसी ने उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया।
पंचतंत्र की कहानी: नकल करना बुरा है – nakal karna bura hai
पंचतंत्र की कहानी: एक और एक ग्यारह – ek aur ek gyarah
लकड़हारे को रोता हुआ देखकर नदी के देवता प्रकट हुए और बोले बेटा क्या हुआ तुम ऐसे उदास क्यों हो। तो लकड़हारे ने सारी बात नदी के देवता को बताई। तो नदी के देवता बोले चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढकर लाता हूँ। और नदी में डुबकी लगाई और एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी।
आप जो नहीं पा सकते उसकी बुराई ही करते हैं।
एक नमक बेचने वाला हर दिन अपने गधे पर नमक की थैली को बाजार तक ले जाता था।
कृष्ण ने सुदामा को गले लगाकर उनका स्वागत किया और उनके साथ अत्यंत प्रेम और सम्मान का व्यवहार किया। सुदामा, कृष्ण के लिए मिले गरीब आदमी के चावल के नाश्ते से शर्मिंदा हैं, इसे छिपाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सर्वज्ञ कृष्ण सुदामा से उनका वरदान मांगते हैं और अपने पसंदीदा चावल स्नैक्स खाते हैं जो उनके दोस्त उनके लिए लाते हैं।
उस बूढ़े व्यक्ति से जो भी मिलता था उसके लिये सारा दिन अशुभ हो जाता था , लोगों को लगता था की बूढ़े व्यक्ति के बगल में रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक है। बूढ़े व्यक्ति के पास होने से लोग बहुत ही ज्यादा दुखी हो जाते थे।
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